देश भर में भले ही विजयादशमी की धूम हो, मगर एक जगह ऐसी भी है जहां लंकापति रावण का पुतला जलाना तो दूर, इस बारे में सोचना भी महापाप है। यह क्षेत्र कांगड़ा जिला के बैजनाथ में स्थित है। मान्यता है कि यदि इस क्षेत्र में रावण का पुतला जलाया गया तो मृत्यु निश्चित है। शिवनगरी के नाम से मशहूर बैजनाथ में रावण के चरित्र का एक और पहलू भी उजागर होता है।
महापंडित रावण ज्ञानी, पराक्रमी, तपस्वी व शिवभक्त था। यही कारण है कि बैजनाथ में आज भी दशहरे वाले दिन रावण के पुतले को नहीं जलाया जाता । मान्यता के अनुसार रावण ने कुछ वर्ष बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था। शिव के सामने उनके परमभक्त के पुतले को जलाना उचित नहीं था और ऐसा करने पर दंड तत्काल मिलता था, लिहाजा रावण दहन यहां नहीं होता।