आनंद सिंह
कमला हैरिस को तो आप जानते ही होंगे? अमेरिका की उप राष्ट्रपति। भारतवंशी हैं। उनकी भतीजी का नाम है मीना हैरिस। आजकल ट्विटर पर ज्यादा ही एक्टिव हैं। कह रही हैं कि भारत में जो किसान आंदोलन हो रहा है, उसे समर्थन देने की जरूरत है, क्योंकि भारत में लोकतंत्र खतरे में है।
भारत में किसान आंदोलन की एक तस्वीर को ट्वीट करते हुए मीना ने लिखा है: यह महज संयोग नहीं है कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका पर एक महीने पहले ही हमला हुआ और अब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर खतरा है। ये दोनों घटनाएं जुड़ी हुई हैं। हमें भारत में आंदोलनरत किसानों के खिलाफ सुरक्षाबलों के अत्याचार को समझना होगा।
अब मीना को यह समझ कहां से आई कि सुरक्षाबलों ने किसानों पर अत्याचार किया है? 26 जनवरी को किसानों और दिल्ली पुलिस के बीच जो झड़प हुई, उसे अत्याचार की संज्ञा कोई मूर्ख ही दे सकता है। 26 के बाद, गाजीपुर बॉर्डर पर बेशक कड़े सुरक्षा इंतजामात किए गए, पर उसे अत्याचार कहना कहां से उचित है? क्या अत्याचार हुआ है, यह तो मीना ने बताया ही नहीं।
ऐसी ही एक सेलिब्रिटी है रिहाना। रिहाना को एक खास कौम के लोगों ने अपने-अपने ट्विटर पर खूब री-ट्वीट किया है। लोग रिहाना का धन्यवाद कर रहे हैं कि आपने भारत के किसानों पर की जा रही कथित बर्बरता की तरफ पूरी दुनिया का ध्यान आकृष्ट कराया, इसके लिए आपका धन्यवाद। सोशल मीडिया पर ऐसे सिरफिरों की कोई कमी नहीं। इन्हें तो यह भी नहीं पता कि रिहाना का सिर्फ एक ही धर्म और कर्म है: पैसे कमाना।
चाहे न्यूड फोटो हो या वीडियो शूट की बात हो या फिर किसी अन्य तरीके से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचना, रिहाना कहीं पीछे नहीं रहती। वह हद दर्जे तक अमेरिका में ही विवादित है। अमेरिका के सभ्य समाज के लोग उसके प्रोग्राम में जाना तक पसंद नहीं करते।
सबसे बड़ी बात: अमेरिका की रुचि भारत में क्यों? हमारे किसान आंदोलन पर अमेरिकी सेलिब्रेटियों की नजर क्यों? आप अपना कैपिटल हिल भूल गए? हमारे यहां 26 जनवरी को जो कुछ हुआ, उसकी तुलना कैपिटल हिल से करना हर तरीके से गलत है। दोनों घटनाएं अलग हैं। कैपिटल हिल की घटना एक चुनाव हार चुके, परंतु पराजय न स्वीकार करने वाले सनकी इंसान की जिद का परिणाम था। हमारे यहां न तो कोई चुनाव हुआ, न कोई सनकी है, न कोई बदले की भावना है। किसान तीनों कृषि कानूनों की वापसी चाहते हैं और इसके लिए जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, वो उस पर चल रहे हैं।
सरकार भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत ही काम कर रही है। सरकार के नुमांइदों के साथ किसानों की 11 दौर की बातचीत को आप क्या कहेंगे? क्या यह लोकतंत्र नहीं था? 11 दौर की बातचीत इस बात का परिचायक है कि यहां निर्वाचित सरकार है, पूरी ताकत के साथ सरकार चल रही है और यही सरकार किसानों की मांग को अपने तई देख रही है, इंशाअल्लाह रास्ता भी यही सरकार निकालेगी।
फिर अमेरिकी सेलिब्रेटियों के पेट में दर्द क्यों हो रहा है? वो अपना घर तो संभालें पहले। लावारिस फिल्म का एक गाना याद करें…मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम….भारत में बहुतेरे मामले हैं। भारत में इन मामलों को निपटा लिया जाता है। हमारे मामलों में दखल न दे दुनिया। हम खुद अपने मामले निपटाने में सक्षम हैं। समझीं मीना और रिहाना!