कोहिमा: पुराने जटिल राजनीतिक नगा मामले का जल्दी से जल्दी समाधान खोजने पर जोर दे रहे सात दलों के संगठन एनएनपीजीएस ने 31 अक्टूबर को होने वाली अगले दौर की शांति वार्ता से पहले विधायकों से अनुरोध किया है कि वे इस मामले पर निरपेक्ष नहीं रहें। संगठन ने कहा कि जब सरकार मामले का समाधान खोजने का प्रयास में जुटी है विधायकों को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (एनएनपीजीएस) मसले के हल को लेकर केन्द्र सरकार के साथ 2017 से बातचीत कर रहा है। रविवार रात संगठन के मीडिया सेल की ओर से जारी बयान में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से यह अनुरोध किया गया है। नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड, इसाक मुइवा (एनएससीएन-आईएम) ने अगस्त 2015 में केंद्र के साथ एक मसौदा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। एनएससीएन-आईएम अलग झंडे और अलग संविधान पर जोर दे रहा है जबकि सरकार उसका यह अनुरोध खारिज कर चुकी है।
केंद्र के वार्ताकार और नगालैंड के राज्यपाल आर एन रवि सोमवार को नई दिल्ली में एनएससीएन-आईएम के साथ बातचीत करेंगे।
रवि ने 19 अक्टूबर को कहा था कि एनएससीएन-आईएम अलग नगा राष्ट्रीय ध्वज और संविधान की मांग उठा कर इसके हल में विलंब करने का रवैया अपना रखा है जबकि उसे सरकार का रुख अच्छी तरह पता है। एनएनपीजीएस ने एक बयान में कहा कि नगालैंड के निर्वाचित प्रतिनिधियों को इस मुद्दे पर तटस्थ रुख नहीं रखना चाहिए। खास तौर से तब जब सरकार इस मुद्दे को सुलझाना चाहती है। बयान में यह भी कहा गया है कि छह दशक पुराने इस मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए नगा समाज की मांग को देखते हुए केंद्र ने शांति वार्ता के लिए समय सीमा तय की है।