- वेट लीज की बसों से भी हर साल करोड़ों का घाटा
- न पेंशन समय पर, न नाइट ओवरटाइम भत्ते दिए
- 23 वर्गों को दी जा रही मुफ्त यात्रा की भरपाई मांगी
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : भारी घाटे से जूझ रही एचआरटीसी ने राज्य सरकार ने 500 करोड़ की मदद मांगी है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि सरकार निगम द्वारा 23 वर्गों को दी जा रही मुफ्त यात्रा सुविधा की भरपाई करे।
वित्त विभाग में ये प्रपोजल मिलने के बाद परिवहन विभाग ने एचआरटीसी से अब आगे का रोडमैप मांगा है कि इस घाटे को कैसे खत्म किया जाएगा? हैरानी की बात ये है कि एचआरटीसी वेट लीजिंग वाली बसों के मामले में भी सालाना करोड़ों के घाटे में जा रही है। यानी निजी व्यक्तियों से ली गई ये बसें खाली दौड़ रही हैं और इन्हें प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान हो रहा है। करीब साढे चार करोड़ इन बसों पर एचआरटीसी खर्च कर रहा है। ये सभी बसें पूर्व कांग्रेस सरकार के समय की ली गई हैं, जिन्हें अब घाटे के बावजूद ढोया जा रहा है।
वित्त विभाग ने इस तरह की कई खामियां सामने आने के बाद इन पर जवाब देने को भी कहा है। एचआरटीसी अभी तक न तो समय पर अपने रिटायर कर्मचारियों को पेंशन दे पा रहा है, न ही नाइट और ओवरटाइम भत्ते दिये जा रहे हैं। दिवाली से पहले बीओडी से कर्मचारियों को बकाया आईआर देने का वादा हुआ है लेकिन इसके लिए भी अभी फंड नहीं है।
सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि अब फ्लीट नया होने के बावजूद वीयर एंड टियर का खर्चा पहले की तरह बढ़ रहा है। बसों का प्रतिदिन पर किलोमीटर सफर भी कम हो रहा है। जब बसें चल नहीं रही तो प्रति किलोमीटर कमाई भी गिरी है। इस गिरावट को देखते हुए एचआरटीसी ने अब भरपाई के लिए नया प्रस्ताव सरकार को भेजा है।
हर साल 319 करोड़ रुपये देती है सरकार
सरकार एचआरटीसी को हर साल करीब 219 करोड़ रुपये देती है। इसमें 251 करोड़ की सालाना ग्रांट है, जबकि 68 करोड़ इस साल अलग से दिये गए हैं। अब एचआरटीसी ने 500 करोड़ पुराने बैलेंस शीट को ठीक करने के लिए अगल से मांगे हैं। और ये भी तब है जब निगम ने स्टेट रोड टैक्स का भुगतान कई साल से नहीं किया है। इधर दो बार केंद्र सरकार ने लगभग फ्री में बसें मिलने के बावजूद निगम का घाटा लगातार बढ़ रहा है।