मेहनत लाई रंग : एमपी के डॉक्टर ने छोटा और उन्नत किस्म का आधुनिक संयंत्र बनाया
क्लीनिकों और 50 बिस्तर वाले अस्पतालों के लिए फायदेमंद, छोटा होने के चलते इसे कहीं पर भी लगाना सबसे आसान
भोपाल : मध्य प्रदेश के एक सरकारी डॉक्टर ने अस्पतालों एवं क्लीनिकों से निकलने वाले बायोमेडिकल तरल अपशिष्ट के शोधन के लिए किफायती, छोटा एवं उन्नत किस्म का आधुनिक प्रवाह शोधन संयंत्र (ईटीपी) बनाया है। दावा किया जा रहा है कि यह ईटीपी क्लीनिकों एवं 50 बिस्तर वाले अस्पतालों के बायोमेडिकल तरल अपशिष्ट के शोधन के लिए वरदान साबित हो सकता है।
छोटा होने के कारण इसे कहीं पर भी लगाया जा सकता है और इसकी लागत तथा इसके रखरखाव का खर्च बहुत कम है। यह ईटीपी इस साल 23 सितंबर को नेशनल हेल्थ इनोवेशन कमेटी द्वारा चुना गया और इसके निर्माता डॉक्टर ने इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्य प्रदेश के संयुक्त संचालक डॉ. पंकज शुक्ला ने शनिवार को बताया कि भोपाल के मिसरोद स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ सरकारी चिकित्सक डॉ. योगेश सिंह कौरव ने अपने 2 सहयोगियों के साथ मिलकर एक छोटा ईटीपी बनाया है। यह ईटीपी क्लीनिकों एवं 50 बिस्तर वाले अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल तरल अपशिष्ट के शोधन के लिए पर्याप्त है। इसकी लागत मात्र 50,000 रुपये है, जबकि बड़े ईटीपी करीब 50-50 लाख रुपये तक के आते हैं।
अपशिष्ट को नालियों में डालना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: शुक्ला
मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में गुणवत्ता के साथ-साथ नवाचार देखने वाले डॉ. पंकज शुक्ला ने बताया कि अस्पतालों एवं क्लीनिकों में खून, थूक, पेशाब एवं दवाइयों के बायोमेडिकल तरल अपशिष्ट में बैक्टीरिया होते हैं। बिना शोधन किए इस बायोमेडिकल तरल अपशिष्ट को नालियों में डालना न केवल स्वास्थ्य के लिए, बल्कि पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक होता है। इसलिए यह आधुनिक ईटीपी वरदान साबित हो सकता है।
डॉ. कौरव ने 2 साल पहले शुरू किया था काम
डॉ. पंकज शुक्ला ने कहा कि डॉ. कौरव ने करीब 2 साल पहले यह ईटीपी बनाना शुरू किया था। डॉ. कौरव ने बताया कि पिछले साल तैयार इस उन्नत ईटीपी की, भोपाल के सरकारी हमीदिया अस्पताल सहित कई स्थानों पर गुणवत्ता परखी गई। ईटीपी के मॉडल को हमने नेशनल हेल्थ इनोवेशन पोर्टल पर अपलोड किया और नवाचार कार्यक्रम के तहत मैंने दिल्ली में इसकी प्रस्तुति दी। वहां इसकी सराहना हुई।
सभी अस्पतालों के लिए है जरूरी
डॉ. पंकज शुक्ला ने कहा कि अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल तरल अपशिष्ट के दुष्परिणामों को देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी अस्पतालों तथा क्लीनिकों में आधुनिक ईटीपी लगाना अनिवार्य किया है। आम तौर पर ईटीपी महंगे होते हैं और इनका आकार भी बड़ा होता है, इसलिए इन्हें हर जगह लगाना संभव नहीं होता है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश में अब तक कुछ सरकारी अस्पतालों में ही अब तक ईटीपी लगाए गए हैं।