भाला फेंक में अनु आठवें स्थान पर
दोहा: भारत के अविनाश साब्ले ने नाटकीय हालात में यहां विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप की पुरुष 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाई जबकि अनु रानी क्वालीफाइंग दौर की शानदार फार्म को फाइनल में दोहराने में नाकाम रही और महिला भाला फेंक स्पर्धा में आठवें स्थान पर रहीं।
महाराष्ट्र के मांडवा के 25 साल के साब्ले विश्व चैंपियनशिप की ट्रैक स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने वाले पहले पुरुष खिलाड़ी हैं। अविनाश पहले दौर की हीट में नया राष्ट्रीय रिकार्ड बनाने के बावजूद शुरुआत में पुरुष 3000 मीटर स्टीपलचेज के फाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहे थे लेकिन इसके बाद भारतीय एथलेटिक्स महासंघ ने विरोध किया कि दौड़ के दौरान अन्य धावकों ने उनका रास्ता रोका जिसके बाद उन्हें फाइनल में जगह दी गई।
अविनाश ने हीट में आठ मिनट 25 .23 सेकेंड के समय के साथ आठ मिनट 28 .94 सेकेंड के अपने ही राष्ट्रीय रिकार्ड में सुधार किया। वह तीसरी हीट में सातवें और दौड़ में हिस्सा ले रहे कुल 44 धावकों में 20वें स्थान पर रहे। स्पर्धा के दौरान हालांकि दो बार ऐसी घटनाएं हुई जब उनके रास्ते में अवरोध हुआ।
एएफआई ने बाद में अपील दायर करते हुए दावा किया कि अविनाश का रास्ता अन्य धावकों ने रोका और साथ ही आग्रह किया कि उन्हें फाइनल में जगह दी जाए। एक घंटे बाद स्पर्धा के रैफरी वीडियो फुटेज देखने के बाद सहमत हुए कि दो मौकों पर अविनाश के रास्ते में अवरोध हुआ। नियम 163 .2 (अवरोध होना) के तहत भारत के विरोध को स्वीकार किया गया और अविनाश को फाइनल में जगह मिली।
एएफआई के नीति आयोग के अध्यक्ष ललित भनोट ने बताया, हमने अपील दायर की और हमें अनुकूल फैसला मिला। इसलिए अविनाश फाइनल में है, उसे फाइनल में जगह बनाने वाले खिलाडय़िों में जगह दी गई है। साब्ले के स्थान में कोई बदलाव नहीं हुआ लेकिन शुक्रवार को होने वाले फाइनल में उन्हें 16वें प्रतिस्पर्धी के रूप में जगह दी गई। प्रत्एक हीट में शीर्ष पर रहने वाले तीन धावकों और फिर अगले छह सबसे तेज धावकों ने फाइनल में जगह बनाई।
दोनों ही घटनाएं जूनियर विश्व चैंपियन इथोपिया के ताकेले निगाटे से जुड़ी थी। पहली घटना में साब्ले को एक अन्य प्रतिस्पर्धी के ऊपर से कूदना पड़ा क्योंकि चार-पांच धावक एक दूसरे के ऊपर गिर गए थे। रेस के दौरान ही निगाटे साब्ले के सामने एक अवरोध से टकरा गए जिसके बाद भारतीय धावक को इस अवरोध पर चढ़कर जाना पड़ा और उन्होंने अहम समय गंवाया।
दो बार धीमा होने के बावजूद 24 साल के साब्ले ने अपने राष्ट्रीय रिकार्ड में तीन सेकेंड से अधिक समय का सुधार किया। उन्होंने इसी साल मार्च में फेडरेशन कप के दौरान आठ मिनट 28 .94 सेकेंड का समय लिया था। साब्ले ने अप्रैल में इसी ट्रैक पर एशियाई चैंपियनशिप के दौरान आठ मिनट 30.19 सेकेंड के समय के साथ रजत पदक अपने नाम किया था।
दूसरी तरफ सोमवार को क्वालीफाइंग में 62 .43 मीटर के प्रयास के साथ अपना ही राष्ट्रीय रिकार्ड तोडऩे वाली अनु फाइनल में मंगलवार को 61 . 12 मीटर का ही सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर सकी। अनु ने 59 .25 मीटर के प्रयास के साथ शुरुआत की और फिर यह 27 साल की एथलीट 61.12 मीटर और 60.20 मीटर के प्रयास से शीर्ष आठ में शामिल रही जिससे उन्हें तीन और थ्रो मिले। अनु हालांकि अगले तीन प्रयास में 60.40 मीटर, 58.49 मीटर और 57.93 मीटर की दूरी ही तय कर सकीं और 12 खिलाडय़िों के फाइनल में आठवें स्थान पर रहीं।
राष्ट्रमंडल खेल 2018 की रजत पदक विजेता केल्सी ली बार्बर ने 66 .56 मीटर के प्रयास के साथ स्वर्ण पदक जीता। चीन की एशियाई खेलों की चैंपियन ल्यू शियिंग और उनकी हमवतन एशियाई चैंपियन ल्यू हुई हुई ने 65 .88 मीटर और 65 .49 मीटर के प्रयास के साथ क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीते। मेरठ के समीप बादल गांव की रहने वाले अनु भले ही फाइनल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में नाकाम रही लेकिन इस प्रतियोगिता के दौरान वह विश्व चैंपियनशिप की महिला भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने वाली पहली भारतीय बनीं।
अनु ने स्पर्धा के बाद कहा, मैंने कुछ तकनीकी गलतियां की और मैं इन पर काम करूंगी और उम्मीद करती हूं कि बेहतर प्रदर्शन करूंगी। मैं ओलंपिक के लिए अब तक क्वालीफाई नहीं कर पाई हूं।
मैं उम्मीद करती हूं कि अपनी तकनीकी खामियों में सुधार कर पाऊंगी और ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर पाऊंगी जिसके लिए मुझे 64 मीटर थ्रो करनी होगी। उन्होंने कहा, यूरोप में ट्रेनिंग से काफी फायदा मिला, विशेषकर चेक गणराज्य में ट्रेनिंग से जहां मुझे शीर्ष खिलाडय़िों के साथ प्रतिस्पर्धा के काफी मौके मिले और मुझे काफी अनुभव भी मिला। उवे हान के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग से भी काफी कुछ सीखने में मदद मिली।